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ये कविता हमे कितना कुछ सिखाती है.... क्लिक करें...और आप भी सीखें

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नमस्कार साथियों... साथियों.... इस लॉक डाउन मे कई लोगों के रोजगार क्षीण हो गए... जिसके वजह से लोग घरों मे खाली बैठे हैं... उन सभी को ये समर्पित है... कक्षा 5 के पाठ्यक्रम मे रखी गयी "कुछ काम करो कुछ काम करो" मैथिलीशरण गुप्त जी के इस कविता को जब प्रयागराज के नन्हे सूरज पाल ने अपने सुरों मे गाया...और Whatsapp पर आया तो यह Motivational Poem को whatsapp पर काफी लोगों ने शेयर किया...हालांकि यह ऑडियो ही है वीडियो नहीं है.... कुछ ना कर सकने वाला भी एक काम कर सकता है... वो है प्रयास....  मुझे लगा कि जब नन्हे मुन्नो के सुरों में इतनी लय है तो मुझे भी आप लोगों से शेयर करना ही चाहिए... आप भी सुने मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित ये कविता बहुत ही प्रेरणा देती है.... ये रहा लिंक - https://youtu.be/vRp03Ao_90Q

Atomic Habits Hindi Summary- James Clear

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credit :  jamesclear.com आप यहाँ से इस book को purchase कर सकते हैं –  यहाँ क्लिक करें Book Summary एक line summary –  Atomic Habits , एक step by step process है जिसमें आप सीखेंगे की अच्छी आदतों को अपनी life में हमेशा के लिए कैसे बरकरार रख सकते है। और बुरी आदतों को कैसे हमेशा के लिए हटा सकते हैं. पढ़ने में कितना time लगेगा?  – सिर्फ 5 minutes . किताब का Best Quote : ” The Ultimate purpose of habits is to solve the problems of life with as little energy and effort as possible.” क्या आप रोज़ सुबह जल्दी उठने की आदत बनाना चाहते हो ? क्या आप अपनी smoking या शराब पीने की आदत को छोड़ना चाहते हो ? क्या आपको रोज़ 30 minutes के लिए किताब पढ़ने की आदत डालनी है ? अगर ये सभी या कोई और आदतें जो आप चाहते है आपमें होनी चहिये , तो ये book आप ही के लिए बनी है। Author –   James Clear   कहते हैं ,की अपने motivation के reason से अच्छी आदतों को आप बना जरूर लेंगे , पर 1 या 2 दिन , या कुछ हफ़्तों के बाद आप फिर पुरानी आदतों पर वापस आ जाओगे। लेकिन अगर आपक...

बुद्धिज्म ही भारतीय संस्कृति की मुख्य लोकधारा -- भाग 1 लेखक--संदीप जावले

बुद्धिज्म ही भारतीय संस्कृति की मुख्य लोकधारा -- भाग 1 लेखक--संदीप जावले ________________________ मानव जीवन को सुखी व संपन्न बनाने के लिए स्वतंत्रता, समता, बंधुत्व,न्याय, नीति, वैज्ञानिकता, नैतिकता इत्यादि मूल्यों की नितांत आवश्यकता है इस पर आज करीब करीब सभी लोगों को विश्वास हो गया है इन मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण विचारधारा और इस विचारधारा से ओत-प्रोत संस्कृति ही मानव विकास के मार्ग के क्रियाकलाप की  सतत मुख्यधारा रही है। आज मानव समाज का जो कुछ भी विकास हुआ दिख रहा है वह इसी विचारधारा के कारण घटित हुआ है यही वस्तुस्थिति है,इन मानवीय मूल्यों व विचारधारा पर सतत  बारंबार आक्रमण व आघात होते आया है फिर भी समाज में इन्हीं मूल्यों को स्थापित करने का सतत प्रयास करना आवश्यक है यह स्पष्ट है। वास्तव में ऐसे प्रयत्न पूर्वकाल से ही किए जा रहे हैं अथवा भारत में ऐसे प्रयत्नों की भव्य परंपरा रही है,आज जो लोग स्वतंत्रता,समता, बंधुत्व,न्याय, नैतिकता, वैज्ञानिकता आदि मूल्यों का उद्घोष करते हैं, मानव जीवन के चतुर्मुखी उत्थान के लिए यही मूल्य आवश्यक हैं ऐसा मानते हैं और इन मूल्यों पर आधारित...

अद्भुत गधा.....!

अद्भुत गधा.....! एक व्यक्ति बाजार में आवाज़ लगा रहा था। गधा ले लो... 5,00,000 रुपये में गधा ले लो !! गधा बहुत ही कमजोर था। वहाँ से एक राजा का अपने मंत्रियों  के साथ गुजरना  हुआ !! राजा अपने कुछ मंत्रियों के साथ गधे के पास आया और कड़कती आवाज मे पूछा कि कितने में बेच रहे हो?उसने कहा साहेब पाँच लाख रुपये का, राजा हैरान होते हुए, इतना महंगा? ऐसा क्या खास है इसमें? वो व्यक्ति कहने लगा... साहेब जो इस पर बैठता है उसे भगवान /अल्लाह का दरबार दिखाई देने लगता है। राजा को विश्वास नहीं हुआ वो कहने लगा: अगर तुम्हारी बात सच हुई तो हम इसे एक करोड़ रुपये का खरीद लेंगे, लेकिन अगर तुम्हारी बात झूठ हुई तो तुम्हारा सर क़लम कर दिया जायेगा, साथ ही अपने एक खास मंत्री से कहा कि इस पर बैठो और बताओ कि क्या दिखता है? जब मंत्री बैठने लगा तो गधे वाले ने कहा: श्रीमान जी जरा होशियार! भगवान का दरबार किसी अपवित्र आदमी को दिखाई नहीं देता। मंत्री: हम अपवित्र नहीं हैं, हटो सामने से। मंत्री यह कहकर गधे पर बैठ गया लेकिन उसे कुछ नहीं दिखा। अब वह यह सोचने लगता है कि अगर सच कह दिया तो बहुत बदनामी होगी और ...

बीआरओ(Border road organisation ) को सिर्फ 60 दिन में ये पुल बनाने का टास्क दिया लेकिन #BRO ने 24 घण्टे सातों दिन काम करके यह 430 फीट लंबा बेली पुल मात्र

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मौके_पे_चौका ❤🇮🇳🙏🏻#Must_Read वुहान वायरस को लेकर #अमेरिका #यूरोप समेत जब पूरी दुनिया  चीन को लातियाँ रही थी और चीन का पूरा प्रचार तंत्र व प्रशासनिक मशीनरी इस आक्रमण को  येन केन प्रकरेण कॉउंटर   करने में लगी हुई थी तभी भारतीय सरकार और सेना ने एक बड़ा #काण्ड कर डाला ! बिना चीन को भनक लगे ....... जैसा कि आपको पता ही होगा कि अरुणाचल प्रदेश चीन की दुखती रग रहा है और भारत की हर गतिविधि यहां तक कि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों व सैन्य अधिकारियों के सरकारी दौरों का भी वो कड़ा विरोध करता आया है ! कश्मीरी लोगो के साथ साथ ही वो अरुणाचल प्रदेश के लोगो को भी  स्टेपल_वीजा या  नत्थी_वीजा देता आया है ! तो ऐसे में तो यहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण तो बहुत दूर की बात है ,हालांकि चीन अपनी तरफ वाले हिस्से में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़के ,पुल यहाँ तक कि कई हवाई  पट्टियां तक बना चुका है ! चीन के दवाब या भय  के चलते ही पुरवर्ती सरकारें यहाँ कुछ भी करने से बचती रही नतीजन बावजूद अत्यधिक  सामरिक महत्व और विवाद का #एपिक_सेंटर ऐसा सेंटर जिस पर चीन से ए...

आप भी जानिए कौन थे #हीरू_ओनेडा

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*ये हीरू ओनेडा हैं। जापान की इम्पीरियल आर्मी का सिपाही, जिसने जिंदगी के 30 साल दूसरा विश्वयुद्ध लड़ते हुए गुजार दिए।* *दूसरे विश्वयुद्ध के पूर्व जापान में राजशाही, वस्तुतः एक फासिस्ट किस्म के सिस्टम पर शासन करती थी। जनता को देश के लिए मरने, और मारने की घुट्टी मिली होती है।कामिकाजे एक प्रथा है, जिसमे बचने का कोई मार्ग न मिलने पर समुराई, या कहिये फौजी अपनी मौत को उद्देश्य बनाकर लड़ता है।* *सुदूर समुद्र में जापानी बमवर्षक बम गिराने के बाद, अपना प्लेन भी अमेरिकी नेवल शिप से भेड़ देते, क्योकि प्लेन में वापस एयरस्ट्रिप तक जाने का फ्यूल न होता था। इन तरीकों से जापान, जर्मनी के सरेंडर के बाद भी युद्ध कुछ महीने खींच सका, और अंत मे एटम बम से दो शहरों के एल्हिनेशन के बाद ही सरेन्डर को तैयार हुआ।* *तो हीरू ओनेडा ने 1944 में आर्मी जॉइन की। इन्हें फिलीपींस के एक द्वीप पर अमरीकी हवाई अड्डे पर कब्जा करना था। दल असफल रहा, अमरीकी फ़ौज उतरी, और दल बेतहाशा मारा गया। हीरू और उनके तीन साथी पहाड़ों में जा छुपे।* *कुछ दिनों बाद हवाई जहाज से पर्चे गिरे, लिखा था समर्पण कर दो, जापान ने हार मान ली। जापान ह...

Waiting For a Visa हिन्दी में

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वीजा के लिए इंतजार  संस्मरण   वीजा के लिए इंतजार - भीमराव आंबेडकर        अनुवाद - सविता पाठक  कोई आंबेडकर कैसे बनता है ? यह लंबा वृत्तांत इसी प्रश्न का जवाब है। आश्चर्य की बात यह है कि डॉ. आंबेडकर इतनी तटस्थता के साथ यह सब कैसे लिख सके जो बचपन में और बाद में उनके साथ बीता। आज हम सब डॉ. आंबेडकर को जानते हैं , पर इसका एहसास कम ही लोगों को है कि इतने प्रतिभाशाली और काबिल होने के बाद भी सिर्फ महार परिवार में जन्म होने के कारण उन्हें कैसी-कैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। एक बार तो वे मरते-मरते बचे। भारतीय संविधान ने अछूतपन को खत्म कर दिया है। पर देश के बहुत-से हिस्सों में आज भी वही कानून चल रहा है , जो दलित को सार्वजनिक कुएँ या तालाब से पानी पीने को रोकता है। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. आंबेडकर की ऐसी कोई किताब शायद नहीं पढ़ाई जाती , पर उनकी पुस्तिका ' वेटिंग फॉर वीजा ' संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल है। पुस्तिका के संपादक प्रो. फ्रांसेज डब्ल्यू प्रिटचेट ने आंतरिक साक्ष्यों के आधार पर अनुमान...