बीआरओ(Border road organisation ) को सिर्फ 60 दिन में ये पुल बनाने का टास्क दिया लेकिन #BRO ने 24 घण्टे सातों दिन काम करके यह 430 फीट लंबा बेली पुल मात्र
मौके_पे_चौका ❤🇮🇳🙏🏻#Must_Read
वुहान वायरस को लेकर #अमेरिका #यूरोप समेत जब पूरी दुनिया चीन को लातियाँ रही थी और चीन का पूरा प्रचार तंत्र व प्रशासनिक मशीनरी इस आक्रमण को येन केन प्रकरेण कॉउंटर करने में लगी हुई थी तभी भारतीय सरकार और सेना ने एक बड़ा #काण्ड कर डाला !
बिना चीन को भनक लगे .......
जैसा कि आपको पता ही होगा कि अरुणाचल प्रदेश चीन की दुखती रग रहा है
और भारत की हर गतिविधि यहां तक कि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों व सैन्य अधिकारियों के सरकारी दौरों का भी वो कड़ा विरोध करता आया है !
कश्मीरी लोगो के साथ साथ ही वो अरुणाचल प्रदेश के लोगो को भी स्टेपल_वीजा या नत्थी_वीजा देता आया है !
तो ऐसे में तो यहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण तो बहुत दूर की बात है ,हालांकि चीन अपनी तरफ वाले हिस्से में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़के ,पुल यहाँ तक कि कई हवाई पट्टियां तक बना चुका है !
चीन के दवाब या भय के चलते ही पुरवर्ती सरकारें यहाँ कुछ भी करने से बचती रही नतीजन बावजूद अत्यधिक सामरिक महत्व और विवाद का #एपिक_सेंटर ऐसा सेंटर जिस पर चीन से एक बड़ा और भयानक युद्ध होना भविष्य में अवश्यभावी है !!
चीन और भारत की विवादित सीमा जिसे #लाइन_ऑफ_एक्चुअल_कंट्रोल के नाम से जाता है पर सुबनसिरी जिले में सुबनसिरी नदी के दोनो तरफ के तीन भारतीय इलाको #दापारिजो #आसफिला व #माजा जिन पर चीन अपना मजबूत दावा ढोकता आया है ,तक पहुचाने वाला सुबनसिरी नदी पर एक मात्र पुराना पुल था जो 1992 में बना था। अब वह जर्जर हो गया था वैसे भी इसके ऊपर से सिर्फ 9 टन का भार ही गुजर सकता था।
यह पुल पूरे अरुणाचल प्रदेश को दो मुख्य मार्गों लीकाबली-बसर-बामे-दापोरिजो और ईटानगर-जीरो-रागा-दापोरिजो जैसे महत्वपूर्ण इलाकों को आपस मे जोड़ता था।
वैसे दापोरिजो के अलावा एक और पुल भी है #तामीन, लेकिन इसका मार्ग बहुत कठिन है। यह दुरूह पहाड़ों से होकर गुजरता है। इसके अलावा इस पुल की क्षमता मात्र 3 टन की ही है।
चीन के अलावा चीन के ही टुकड़ो पर पलने वाले और चीन से मोटी रकम पाने वाले कई राजनीतिक दल, NGO व नार्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठनों समेत कई ऐसे लोग है जो नहीं चाहते थे कि इस इलाके का विकास हो !
भारत सरकार और सेना ने चीन के अन्यत्र उलझे होने के मौके का फायदा उठा कर बीआरओ(Border road organisation ) को सिर्फ 60 दिन में ये पुल बनाने का टास्क दिया लेकिन #BRO ने 24 घण्टे सातों दिन काम करके यह 430 फीट लंबा बेली पुल मात्र
एक महीने के अंदर ही बना डाला
इस पुल की डिजाइन प्रचलित पुल निर्माण डिजाइन और तरीको से अलग है।
इसकी डिजाइन को लेकर कॉलेज ऑफ मिलिटरी इंजिनियरिंग पुणे के प्रफेशनल्स से मदद ली की गई। पुल का काम 17 मार्च को शुरू किया गया और इसे 14 अप्रैल को पूरा भी कर आवागमन के लिए खोल भी दिया गया !
साथ ही बीआरओ के सभी मजदूरों इंजीनियरस ने रात दिन काम जारी रखने के दौरान #वुहान वायरस से बचने के लिए सभी प्रिकॉशन भी
अपनाए।
यह पुल भारत-चीन सीमा पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तक 40 टन वजन वाले फौजी वाहनों व टैंकों को पहुंचाने में खास मददगार होगा दापोरिजो पुल भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की दिशा में एक रणनीतिक कड़ी है। अब सभी नागरिक और फौजी आपूर्तियां, राशन, निर्माण संबंधी सामग्री और दवाएं इसी पुल से गुजरेगी !!
जय हिंद की सेना||जय BRO Engineers&Workers
वुहान वायरस को लेकर #अमेरिका #यूरोप समेत जब पूरी दुनिया चीन को लातियाँ रही थी और चीन का पूरा प्रचार तंत्र व प्रशासनिक मशीनरी इस आक्रमण को येन केन प्रकरेण कॉउंटर करने में लगी हुई थी तभी भारतीय सरकार और सेना ने एक बड़ा #काण्ड कर डाला !
बिना चीन को भनक लगे .......
जैसा कि आपको पता ही होगा कि अरुणाचल प्रदेश चीन की दुखती रग रहा है
और भारत की हर गतिविधि यहां तक कि प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों व सैन्य अधिकारियों के सरकारी दौरों का भी वो कड़ा विरोध करता आया है !
कश्मीरी लोगो के साथ साथ ही वो अरुणाचल प्रदेश के लोगो को भी स्टेपल_वीजा या नत्थी_वीजा देता आया है !
तो ऐसे में तो यहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण तो बहुत दूर की बात है ,हालांकि चीन अपनी तरफ वाले हिस्से में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़के ,पुल यहाँ तक कि कई हवाई पट्टियां तक बना चुका है !
चीन के दवाब या भय के चलते ही पुरवर्ती सरकारें यहाँ कुछ भी करने से बचती रही नतीजन बावजूद अत्यधिक सामरिक महत्व और विवाद का #एपिक_सेंटर ऐसा सेंटर जिस पर चीन से एक बड़ा और भयानक युद्ध होना भविष्य में अवश्यभावी है !!
चीन और भारत की विवादित सीमा जिसे #लाइन_ऑफ_एक्चुअल_कंट्रोल के नाम से जाता है पर सुबनसिरी जिले में सुबनसिरी नदी के दोनो तरफ के तीन भारतीय इलाको #दापारिजो #आसफिला व #माजा जिन पर चीन अपना मजबूत दावा ढोकता आया है ,तक पहुचाने वाला सुबनसिरी नदी पर एक मात्र पुराना पुल था जो 1992 में बना था। अब वह जर्जर हो गया था वैसे भी इसके ऊपर से सिर्फ 9 टन का भार ही गुजर सकता था।
यह पुल पूरे अरुणाचल प्रदेश को दो मुख्य मार्गों लीकाबली-बसर-बामे-दापोरिजो और ईटानगर-जीरो-रागा-दापोरिजो जैसे महत्वपूर्ण इलाकों को आपस मे जोड़ता था।
वैसे दापोरिजो के अलावा एक और पुल भी है #तामीन, लेकिन इसका मार्ग बहुत कठिन है। यह दुरूह पहाड़ों से होकर गुजरता है। इसके अलावा इस पुल की क्षमता मात्र 3 टन की ही है।
चीन के अलावा चीन के ही टुकड़ो पर पलने वाले और चीन से मोटी रकम पाने वाले कई राजनीतिक दल, NGO व नार्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठनों समेत कई ऐसे लोग है जो नहीं चाहते थे कि इस इलाके का विकास हो !
भारत सरकार और सेना ने चीन के अन्यत्र उलझे होने के मौके का फायदा उठा कर बीआरओ(Border road organisation ) को सिर्फ 60 दिन में ये पुल बनाने का टास्क दिया लेकिन #BRO ने 24 घण्टे सातों दिन काम करके यह 430 फीट लंबा बेली पुल मात्र
एक महीने के अंदर ही बना डाला
इस पुल की डिजाइन प्रचलित पुल निर्माण डिजाइन और तरीको से अलग है।
इसकी डिजाइन को लेकर कॉलेज ऑफ मिलिटरी इंजिनियरिंग पुणे के प्रफेशनल्स से मदद ली की गई। पुल का काम 17 मार्च को शुरू किया गया और इसे 14 अप्रैल को पूरा भी कर आवागमन के लिए खोल भी दिया गया !
साथ ही बीआरओ के सभी मजदूरों इंजीनियरस ने रात दिन काम जारी रखने के दौरान #वुहान वायरस से बचने के लिए सभी प्रिकॉशन भी
अपनाए।
यह पुल भारत-चीन सीमा पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तक 40 टन वजन वाले फौजी वाहनों व टैंकों को पहुंचाने में खास मददगार होगा दापोरिजो पुल भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की दिशा में एक रणनीतिक कड़ी है। अब सभी नागरिक और फौजी आपूर्तियां, राशन, निर्माण संबंधी सामग्री और दवाएं इसी पुल से गुजरेगी !!
जय हिंद की सेना||जय BRO Engineers&Workers