_____________________ इधर अप्रैल शुरू होते ही चैत की कटिया शुरू हो जाती। उधर महुआ भी चूना शुरू। तो सरसों, चना, मटर, अरहर, अलसी और गेहूं की कटाई-दौंराही-मड़ाई सब घर के बड़े लोगों के ज़िम्मे लेकिन महुआ बीनने का काम हम बच्चों के हिस्से आता। तो फिर भइया लो मजा! संझा से ही प्लानिंग हो जाती। कौन कहाँ, किस पेड़ का महुआ बीनेगा, तय हो जाता। जैसे गाँव में देसी आमों की अलग-अलग वेराइटी, शेप-साइज़, टेस्ट और ख़ुश्बू होती है- वैसे ही महुए की भी अलग-अलग किस्म। हम सब हर पेड़ का महुआ पहचानते। किसी पेड़ का फूल छोटा होता ज़्यादा पीला पन लिए, तो कोई देखने में थोड़ा लंबापन लिए-अंडाकार और रंग चटख सफ़ेदी लिए हुए। महुआ आधी रात से ही, या कहिये सुकऊव्वा तरई के उगने (शुक्र तारा इन्फैक्ट ग्रह जिसे मॉर्निंग स्टार भी कहते हैं-के उदय होने के समय से ही) के साथ ही चूने लगते और लगभग 1 घंटा दिन चढ़ने तक गिरते। छोटे साइज़ वाले ऐसे गिरते- टिप्प टिप्प और बड़े वाले- टप्प टप्प कुछ पानी में भी गिरते - डुब्ब डुब्ब...बुड़ुक बुड़ुक महुआ चूने के पहले ही लोग अपने-अपने हीसा (हिस्से) वाले पेड़ के नीचे उगी हुई घास-झाड़-झाड़ी-झंखाड़ सब साफ ...
* 📜 05 जून 📜 * * 🌳 विश्व पर्यावरण दिवस 🌳 * पूरी दुनिया में 5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस यानी वर्ल्ड एन्वायरमेंट डे मनाया जाता है। ये दिन लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन सोशल मीडिया पर पर्यावरण से जुड़े फैक्ट्स शेयर किए जाते हैं ताकि लोग इसके बारे में सजग रहें। आज हम भी पर्यावरण दिवस के बारे में बात करेंगे, इस दिन को पांच जून को ही क्यों मनाया जाता है या इससे फायदा क्या होता है? * क्यों मनाया जाता है ये दिन * अगर आप भारत के किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो आप जानते होंगे कि यहां रह रहे लोग हर साल बढ़ते तापमान और प्रदूषण के बीच किस तरह जी रहे हैं। ये हाल सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों का नहीं है बल्कि पूरी दुनिया का है। आज तेज़ी से बढ़ता तापमान और प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रह रहे सभी जीवों के लिए बड़ा ख़तरा बन गया है। यही वजह है कि कई जीव-जन्तू विलुप्त हो रहे हैं। साथ ही लोग भी सांस से जुड़े कई तरह के रोगों से लेकर कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यह सब सिर्फ पर्यावरण में बदलाव और उसको पहुंचते नुकसान की...
|| इतिहास के पन्नों से, वो थे इसलिए आज हम है || 15,नवंबर,1875 || 9,जून,1900 Buy Best Book On बिरसा मुंडा clickHere अमर शहीद, उलगुलान आंदोलन के जनक, क्रांति के प्रेणता, आदिवासी जनजाति के जननायक बिरसा मुंडा जी के जंयती पर हार्दिक शुभेच्छा एंव मंगलकामनाएं ! आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय स्तर पर अमर शहीद बिरसा मुंडा जिस तरह से गौण रहे, उससे भारत के आजादी का इतिहास लिखनेवाले, इतिहासकारों की ईमानदारी पर कई सवाल हमेशा उठते हैं। क्योंकि, सच अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसे सत्य के सामने झुकना ही पड़ता है। भारत के इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचेे ऐसे ही एक तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत अमर शहीद, आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा जी है। झारखंड के उलिहातु से निकलकर देश के दूसरे राज्यों में भी आदिवासियों के बीच बिरसा मुंडा क्रांत...