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अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी?

  आँधी आई जोर शोर से, डालें टूटी हैं झकोर से। उड़ा घोंसला अंडे फूटे, किससे दुख की बात कहेगी! अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी? हमने खोला आलमारी को, बुला रहे हैं बेचारी को। पर वो चीं-चीं कर्राती है घर में तो वो नहीं रहेगी! घर में पेड़ कहाँ से लाएँ, कैसे यह घोंसला बनाएँ! कैसे फूटे अंडे जोड़े, किससे यह सब बात कहेगी! अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी? - महादेवी वर्मा

"आवा चली महुआ बीनै"

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_____________________ इधर अप्रैल शुरू होते ही चैत की कटिया शुरू हो जाती। उधर महुआ भी चूना शुरू। तो सरसों, चना, मटर, अरहर, अलसी और गेहूं की कटाई-दौंराही-मड़ाई सब घर के बड़े लोगों के ज़िम्मे लेकिन महुआ बीनने का काम हम बच्चों के हिस्से आता। तो फिर भइया लो मजा! संझा से ही प्लानिंग हो जाती। कौन कहाँ, किस पेड़ का महुआ बीनेगा, तय हो जाता। जैसे गाँव में देसी आमों की अलग-अलग वेराइटी, शेप-साइज़, टेस्ट और ख़ुश्बू होती है- वैसे ही महुए की भी अलग-अलग किस्म। हम सब हर पेड़ का महुआ पहचानते। किसी पेड़ का फूल छोटा होता ज़्यादा पीला पन लिए, तो कोई देखने में थोड़ा लंबापन लिए-अंडाकार और रंग चटख सफ़ेदी लिए हुए। महुआ आधी रात से ही, या कहिये सुकऊव्वा तरई के उगने (शुक्र तारा इन्फैक्ट ग्रह जिसे मॉर्निंग स्टार भी कहते हैं-के उदय होने के समय से ही) के साथ ही चूने लगते और लगभग 1 घंटा दिन चढ़ने तक गिरते। छोटे साइज़ वाले ऐसे गिरते- टिप्प टिप्प और बड़े वाले- टप्प टप्प कुछ पानी में भी गिरते - डुब्ब डुब्ब...बुड़ुक बुड़ुक महुआ चूने के पहले ही लोग अपने-अपने हीसा (हिस्से) वाले पेड़ के नीचे उगी हुई घास-झाड़-झाड़ी-झंखाड़ सब साफ ...

ग़ुलामी v/s आजादी

ग़ुलामी सलाम करती है,  आजादी सवाल करती है।

जीवन क्या है?

जीवन क्या है, मोबाइल से बचा हुआ टाइम...👽 Blinking DRJ Blogs DRJ Blogs

होगा मेरा भी जलवा - Motivational Poem

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होगा मेरा भी जलवा होगा मेरा भी जलवा,  ये इरादा मैंने ठाना है, मुश्किलों से लड़ते रहना,  यही रास्ता पुराना है। थोड़ी ठोकरें खाई हैं,  पर हौंसला अभी कायम है, हौसलों की इस उड़ान में,  हर मंज़िल को पाना है। रास्ते में कांटे बिछे हैं,  पर कदम नहीं डगमगाएंगे, आंधियों का सामना करके,  हम भी दीप जलाएंगे। जोश है दिल में अब इतना,  कोई ताकत ना रोक सके, मेहनत की इस लौ को,  कोई तूफान ना झोंक सके। देखना, आएगा वो दिन जब,  मेरी पहचान बनेगी, होगा मेरा भी जलवा,  और ये दुनिया देखेगी। हाथों की लकीरों में नहीं,  अब अपने दम पर जीना है, जो सोचा है, जो चाहा है,  वो सब हासिल करना है। होगा मेरा भी जलवा,  हर कदम पर चमकूंगा, जितनी भी हो मुश्किलें,  हर हाल में मैं बहकूंगा। - कमलेश पाल