संदेश

Posted new

जीवन क्या है?

जीवन क्या है, मोबाइल से बचा हुआ टाइम...👽

होगा मेरा भी जलवा - Motivational Poem

चित्र
होगा मेरा भी जलवा होगा मेरा भी जलवा,  ये इरादा मैंने ठाना है, मुश्किलों से लड़ते रहना,  यही रास्ता पुराना है। थोड़ी ठोकरें खाई हैं,  पर हौंसला अभी कायम है, हौसलों की इस उड़ान में,  हर मंज़िल को पाना है। रास्ते में कांटे बिछे हैं,  पर कदम नहीं डगमगाएंगे, आंधियों का सामना करके,  हम भी दीप जलाएंगे। जोश है दिल में अब इतना,  कोई ताकत ना रोक सके, मेहनत की इस लौ को,  कोई तूफान ना झोंक सके। देखना, आएगा वो दिन जब,  मेरी पहचान बनेगी, होगा मेरा भी जलवा,  और ये दुनिया देखेगी। हाथों की लकीरों में नहीं,  अब अपने दम पर जीना है, जो सोचा है, जो चाहा है,  वो सब हासिल करना है। होगा मेरा भी जलवा,  हर कदम पर चमकूंगा, जितनी भी हो मुश्किलें,  हर हाल में मैं बहकूंगा। - कमलेश पाल

आखिर क्यूँ बदल जाते हैं दोस्त?

चित्र
हर मित्रता के बीच कुछ न कुछ Common होता है... वो उनकी आदत... हो सकती है... अब वो आदत बुरी या अच्छी किसी भी तरह की हो सकती है  दोनों दोस्तों का Career हो सकता है दोनों की एक सी स्थिति हो सकती है...वो किसी भी मायने में हो सकती है  किसी भी मायने को सोचने के तरीके एक से हो सकते हैं... उनकी दयालुता हो सकती है... किसी भी जीव के प्रति दोनों एक सा विचार रखते हैं... पसंद एक सी हो सकती है.... नजरिया एक जैसा हो सकता है...  और भी बहुत कुछ हो सकता है... और जिस दिन ये कॉमन चीज़ बदलती है... Friendship Bonding कमजोर होने लगती है..... इस वजह से बड़ी से बड़ी दोस्ती भी ख़राब हो जाती है... इसलिए कुछ कॉमन चीज़े बचा कर रखना दोस्तों... समय के बदलते बदलते सब कुछ मत बदल देना... कम से कम एक चीज़ बचा के रखना जो दोस्ती का आधार है... मुझे नहीं पता वो क्या है... पर जो भी है उसे संचित रखना! 🙏 मेरे प्रिय मित्रों... रुकिए रुकिए... आप सोच रहे होंगे मैंने एक ख़ास वजह की तो बात ही नहीं की... तो ऐसा नहीं है... हाँ दोस्ती में जब Other Person एंट्री लेता है.. तो वो दूसरे दोस्त की कमियां गिनाना शुर...

अमर शहीद शीतल पाल के बिना अधूरी है आजादी की दास्ताँ।

चित्र
     शहीद शीतल पाल (1797-1858) साथियों, अमर शहीद शीतल पाल की बहादुरी की गाथा सुनकर पूरा जिला आज भी गर्व से भर उठता है। ||जयंती - 09 September 1797|| ||पुण्यतिथि -23 February 1858|| 1857 की क्रांति में जब देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी की किरण दिखाई पड़ने लगी तो राष्ट्रीय समाज के लोगों ने हथियार उठाने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई थी।  अंग्रेजो के दांत खट्टे कर देश के प्रति कुछ भी कर गुजरने का संदेश दिया था।  इसी तरह भदोही जिले में राष्ट्रीय समाज से आने वाले शीतल पाल ने भी उस दौर में ऐसे ही साहस का परिचय देते हुए घोड़े से भाग रहे क्रूर अंग्रेज अफसर विलियम रिचर्ड मूर को अपनी (भेड़ो के लिए पत्ते काटने वाला हथियार) लग्गी (कटवांसी) से जमीन पर गिरा दिया था और मूर का सिर कलम कर दिया।  इस घटना के बाद अंग्रेजों ने शीतल पाल को गिरफ्तार कर फांसी दे दी। फांसी मिलने के बाद शीतल पाल हमेशा के लिए अमर हो गए।  उनके साहस और बलिदान को लोग आज भी गर्व से याद करते है। दरअसल 1857 की क्रांति के दौरान भदोही में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा किसानों के खेतों पर जबरन करा...