एक देश बारह दुनिया - शिरीष खरे (हाशिये पर छूटे भारत की तस्वीर)
जीवनका सफ़र एन. एम. एक देश बारह दुनिया - शिरीष खरे (हाशिये पर छूटे भारत की तस्वीर) वास्तव में एक ऐसी पुस्तक है जिसके माध्यम से भारत की वह तस्वीर देखने को मिलती है जो आज की चमक-दमक के नीचे दब चुकी है और वर्तमान में गिरते पत्रकारिता के स्तर मे कहीं-न-कहीं छुपा दी जाती है। वर्तमान में पत्रकार किसी मेगासिटी, किसी नदी पर बने बांध, थर्मल पॉवर प्लांट और विकासशील भारत की तो बात करते है, लेकिन मेगासिटी के कारण विस्थापित लोगों के दर्द ,संघर्ष और उनके साथ हो रहे अन्याय-शोषण की बात करना भूल जाते है। वहीं, शिरीष खरे सर की पुस्तक उन सब के दर्द को दिखाती है, साथ ही एक गांधीवादी की बात भी करती है, जो गांव में बसे हैं और थर्मल पॉवर प्लांट एवं बने बांधो से पर्यावरण पड़ रहे प्रभाव की बात कर रहे हैं। कम शब्दों में कहूं तो यह पुस्तक सामाजिक, मानवता, आर्थिक, राजनीति और भूगोल की दृष्टि से भारत की ऐसी तस्वीर सामने लाती है जो हमारी कल्पना से भी दूर है...। शिरीष खरे सर की साहस एवं जज्बे को तहेदिल से शुक्रिया जिन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से हमें ऐसी दुनिया से रूबरू कराया जो हमारी सोच से काफी दूर है ..उन्हो