जानिए बैलगाड़ी एवं साइकिल द्वारा रॉकेट ढ़ोने से लेकर इसरो का अबतक का सफरनामा

# जानिए_बैलगाड़ी_एवं_साइकिल_द्वारा_रॉकेट_ढ़ोने_से_लेकर_इसरो_का_अबतक_का_सफरनामा एक समय ऐसा भी था जब संसाधनों की कमी की वजह से रॉकेटों को बैलगाड़ी से लाया गया था। इसके अलावा भारत के पहले रॉकेट के लांच के समय भारतीय वैज्ञानिक हर रोज तिरूवंतपूरम से बसों में आते थे और रेलवे स्टेशन से दोपहर का खाना खाते थे। साथ ही पहले रॉकेट के कुछ हिस्सों को साइकिल पर भी ले जाया गया था। इसरो ने राष्ट्र और आम जनता की सेवा के लिए, अंतरिक्ष विज्ञान को एक नई पहचान दी है| इसरो के पास संचार उपग्रह तथा सुदूर संवेदन उपग्रहों का बृहत्तम समूह है, जो द्रुत तथा विश्वसनीय संचार एवं भू प्रेक्षण की बढ़ती मांग को पूरा करता है| इसरो राष्ट्र के उपयोग के लिए विशिष्ट उपग्रह उत्पाद एवं उपकरणों को प्रदान करता है: जैसे कि– प्रसारण, संचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन उपकरण, भौगोलिक सूचना प्रणाली, मानचित्रकला, नौवहन, दूर-चिकित्सा, आदि| इन उपयोगों के कारण, विश्वसनीय प्रमोचक प्रणालियां विकसित करना आवश्यक था, इससे संपूर्ण आत्म निर्भता हासिल हुई और ध्रुवीय उपग्रह राकेट (पी.एस.एल.वी.) के रूप में उभरी। प्रतिष्ठित पी.एस....