क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त
बटुकेश्वर दत्त भगत सिंह की बनाई गई हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के अहम सदस्य थे. इनका जन्म 18 नवंबर 1910 को हुआ था। उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह के साथ सेंट्रल असेंबली में दो बम फेंके और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए गिरफ्तारी दी. जेल में भारतीय कैदियों से होने वाले भेदभाव के खिलाफ भगत और दूसरे साथियों के साथ भूख हड़ताल की।ये भगत और चंद्रशेखर के सबसे करीबी साथियों में से एक थे. वे बंगाल में पैदा हुए थे और कानपुर से पढ़े थे. काला पानी की सजा काटने के बाद बाहर आने पर उन्हें टीबी जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया. इसके बावजूद वे महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सेदार रहे।
20 जुलाई 1965 को ये दुनिया से रुखसत हो गए। इनका अंतिम संस्कार फिरोजपुर के हुसैनीवाला में किया गया, जहां भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की समाधि है। आजादी की जंग में शामिल रहे बटुकेश्वर से एक बार स्वतंत्रता सेनानी होने का सर्टिफिकेट मांगा गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक साठ के दशक में पटना में बसों के परमिट को लेकर उन्होंने आवेदन किया था और उस वक्त उनसे ये कहा गया था।
आजादी के बाद जब इन्हें रिहा कर दिया गया तो इनके सामने कमाने और घर चलाने की समस्या आ गई। बटुकेश्वर दत्त ने एक सिगरेट कंपनी में एजेंट की नौकरी कर ली। बाद में बिस्कुट बनाने का एक छोटा कारखाना भी खोला, लेकिन नुकसान होने की वजह से इसे बंद कर देना पड़ा. इस तरह उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
इनके योगदान को याद करते हुए इन्हें नमन एवं श्रद्धांजलि 🙏🙏🙏