"तू युद्ध कर, बस युद्ध कर" - By DRJ©


"तू युद्ध कर, बस युद्ध कर" - DRJ


माना, हालात प्रतिकूल हैं, 
राहों पर बिछे शूल हैं 
रिश्तों पे जमी धूल है 
खुद तू अपना अवरोध न बन 
तू उठ, खुद अपनी राह बना_
दुनिया के तानों - बानो से__
अपने कुंठित व्यभिचारों से__
तू युद्ध कर, बस युद्ध कर_

माना सूरज खो गया बादलोंं में___ 
पर रात अभी हुई नहीं, 
यह तो प्रभात की बेला है 
क्यूं सोच रहा, तू अकेला है 
संग तेरे हैं उम्मीद कई,
तू खुद अपना विहान बन, 
तू खुद अपना विधान बन
तू युद्ध कर, बस युद्ध कर_

हो जीत सदा ही सत्य की, 
बस हो केवल यह लक्ष्य तेरा 
न खोना धीरज, मन का कभी 
परमवीर है तू , कायर नहीं,
रण छोड़ के यूं , तू भाग नहीं
तू युद्ध कर – बस युद्ध कर______

इस युद्ध भूमि पर, तू अपनी लिख विजयगाथा जंग जीतकर, 
बन जा वीर अमिट तू,
है खुद ही सर्व समर्थ तू, 
अभिमान से जीने का अर्थ है तू 
वीरता से अपनी, ये सिद्ध कर 
तू युद्ध कर – बस युद्ध कर____

-DRJ✍️

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