मैं हूँ वो लड़का...By Kanha Singh Yaduvanshi

 मैं हूँ वो लड़का।


जिसने नहीं छेड़ा आज तक

किसी भी लड़की को

नहीं किया कोई इज़हार

घुटनों पर बैठकर कभी भी

ना ही खरीदे फूल गुलाब के

ना ही तोड़े, किसी को देने के लिए

ना ही किया पीछा किसी स्कूटी का

बाइक पर बैठ कर।


मैं हूँ वो लड़का।


जो नहीं गया किसी भी किले के

अँधेरों में जलाने कोई आग

और ना ही मिटाई प्यास

जाकर उन छिछले अँधेरों में

जो नहीं चढ़ा पहाड़ के उस हिस्से तक

जहाँ कुछ लोग चले जाते हैं

अपने प्यार की ऊँचाई नापने 

या झाँकने गहराइयाँ।


मैं हूँ वो लड़का।


जिसने स्वीकारा प्यार का होना 

और भरपूर किया भी

बस नहीं किया तो वो शोर

जिसके बिना आज के

प्यार को प्यार नहीं मानते तुम

और ना ही गुज़रा उन रास्तों पर

जहाँ का टोल कटने के बाद ही

प्यार का होना तय किया है तुमने।


मैं हूँ वो लड़का।


जिसने चाँद की उपमाएं दीं

सावन में भीगी मुलाक़ातें कीं

नहीं किया तो बस अफ़सोस

उसे सबके सामने ना चूमने का

मुझे नहीं पसंद कुछ लम्हों में

सबका शामिल हो जाना

नहीं पसंद प्रेम का प्रदर्शन

सबके सामने किया जाना।


मैं हूँ वो लड़का।


जो छोड़ देता है सीट

किसी जरूरतमंद की ख़ातिर

और खड़ा रहता हैं कंधों को साधे 

कि धक्का लगा तो गुनाह होगा

जो नहीं भेजता मित्रता प्रस्ताव

किसी को इनबॉक्स के लिए

क्योंकि डर है किसी लड़की से

चरित्र प्रमाण पत्र मिलने का।


मैं हूँ वो लड़का।


जिसे कह दिया गया 'कुत्ता'

मंचो से कई दफ़ा 

महिलावाद की चुनरी ओढ़े

अतिवाद में डूबी आवाज कहती है

'आल मेन आर डॉग्स'

जो वफ़ादारी की इस उपमा से 

अलंकृत होने पर समाज का 

शुक्रिया अदा करता है।


मैं हूँ वो लड़का...

❤️

By-

Kanha Singh Yaduvanshi


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