नया सवेरा-मलय पाठक
#नया_सवेरा.....
लेखक - मलय पाठक
Picture Credit- DRJ
यह लीजिए मम्मी जी 3 हजार अपने पास रखिए..
नई बहू ऑफ़िस जाते समय अपने सास को बोली और सुरेखा की आंखें भर आयी ...
अरे इतने सारे पैसे मुझे क्या करना है..
मम्मीजी दिन भर कितनी चीज़ों के लिए पैसे लगते हैं मैं
एक महीने से देख रही हूँ...
सब्ज़ी वाला फ़्रूट वाला कभी काम वाली ज़्यादा पैसे माँगती है।।
और आपकी किटीभी तो होती है रखिए मम्मीजी..
अरे तुम्हारे ससुरजी का पेंशन आता है ना ..
वो थे तब उनसे माँगती थी अब बिना माँगे सरकार हर महीने दे देती है सुरेखा हंस कर बोली .
मम्मी आप अपने किटी ग्रुप के साथ पिक्चर , भेल पार्टी , कोई नाटक ऐसे प्रोग्राम करा करो
अपनी ज़िंदगी जियो इन्होने बताया है कि आपने कितनी मुश्किल से इस घर को संभाला है बड़े भैया अमेरिका में है, दीदी ससुराल में ख़ुश है।
अब आप भी अपनी दुनिया बनाओ .
मुझे पता है आपने अपनी सारी इच्छाओं का गला घोंट के घर बनाया है आप ख़ुद के लिए जियो...
इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी बड़ी बातें कहाँ से सीखी है तुमने...
मैं दस 12 साल की होगी उस दिन मेरी दादी बुआ के यहाँ जा रही थी मम्मी ने जल्दी से छह सौ रुपया निकाल के उनके हाथ पर रखें ...
और बोली वहा बच्चों को बाहर ले जाना ..
नानी की तरफ़ से कुछ खिलाना पिलाना खिलौने लेकर देना ,दादी मम्मी के गले में पढ़कर रोने लग गई .. इसने पैसे कभी दिल खोलकर ख़र्च किए ही नही..
ऐसा बोलने लगी।
'तब से मम्मी और दादी गहरी सहेलियां बन गयी थी
मम्मीजी मुझे मालूम है घर संभालने के लिए आपको अपनी जॉब भी छोड़नी पड़ी..
कितना बुरा लगा होगा आपको कितनी इच्छाओं महत्वाकांक्षाओं का दम घोटना पड़ा होगा ....
इसके अलावा हर छोटी बड़ी बात के लिए पति के सामने हाथ फैलाना पड़ा होगा तब पति भी एहसान जताकर पैसे दिये करते थे ।
आपकी पेंशन रहने दो मम्मी मुझे कभी ज़रूरत रहेगी तो मैं आपसे ही मांगूंगी. . "
अरे बेटा सब कुछ आज ही बोलोगे क्या ,तुम्हें ऑफ़िस में देर हो रही है जल्दी जाओ।
मुझे बोलने दीजिए मम्मीजी ,यह में मेरी ख़ुशी के लिए कर रही हू, मेरी माँ कहती है कि 18 घंटे घर में खटने वाली महिला को कोई समझता ही नहीं है. लेकिन तुम अपने सास की मेहनत को ध्यान में रखना प्यार बोओगी तो प्यार ही पैदा होगा।
सुरेखा ने भरे हुए मनसे, प्यार भरे दिल से बहु के गाल थपथपाए. आँखों से ओझल न हो तब तक दरवाज़े में खड़ी रही साथ ही सोच रही थी दूसरी बहुओ की तरह मुझे भी लगा था अब जिंदगी बंद कमरों की चारदीवारी मे बंधकर रह जाएगी मगर नई बहु ने जीवन मे नया सवेरा ला दिया। सचमुच सभी बहुए खराब नही होती।।
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