The Butterfly
The Butterfly
एक दिन एक दयालु आदमी को तितली का कोकून मिला. वो उस कोकून में से तितली को बाहर निकलता देखने के लिए बैठ गया और तितली को कई घंटों तक देखता रहा. तितली के शरीर को उस छेद से बाहर आने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा था. उसके हालात में कोई बदलाव नहीं आ रहा था और ऐसा लग रहा था कि वह फंस गई.
आदमी ने तितली की मदद करने का फैसला लिया. उसने कैंची ली और बाकी बचे कोकून की bit को काट कर अलग कर दिया। तितली आसानी से बाहर आ गई पर उसका शरीर पर सूजन थी और पंख छोटे व सूखे थे.
आदमी ने इसके बारे में कुछ भी नहीं सोचा था. अब आदमी तितली के पंखों के फैलने का इंतजार करने लगा लेकिन वैसा नहीं हुआ. आदमी की सहायता की वजह से अब तितली अपने सारा जीवन उड़ने में असमर्थ रही, साथ ही छोटे पंखों और सूजी हुई शरीर के साथ घूमने को मजबूर थी.
भला इंसान होने की वजह से उसने तितली की मदद की थी . वो ये नहीं समझा की ये एक Natural प्रक्रिया है. कोकून से निकलने की लिए तितली को संघर्ष की आवश्यकता होती है. तितली को अपने अस्तित्व के लिए खुद ही संघर्ष करना था.
