Instant Love Story

#Instant_Love_Story

मेरठ की एक बड़ी सी गली में भले छोटा ही सही मगर सुंदर सा घर है अर्जुन का
और जितना सादा वो खुद है
उतने सादे उसके सपने भी हैं
एक अच्छी नौकरी, एक छोटा सा प्यार सा परिवार, माता पिता,धर्मपत्नी और बच्चे...!
फिलहाल वो कुंवारा है..!!
और सयोंग से आज एक लड़की भी देखने जा रहा है।
मन व्यथित है, हजारों सवालों से घिरा हुआ , सकुंचया हुआ कहीं न कहीं मन ही मन खुश भी बहोत है।
...................
अब जरा चलते हैं मिष्ठी की तरफ,
         मिष्ठी वैसे मन से तो अपने नाम जैसी ही है मगर जीभ से नीम के पत्ते से कम नहीं है, हाँ वो दिल की बुरी नही है पर जो दिल में है वो साफ ज़ुबान पर रख देती है..मिष्ठी के सपने थोड़े से... ज्यादा नहीं.. पर थोड़े बड़े हैं अर्जुन से ।
एक बड़ा सा घर , एक खुशहाल परिवार
अब भाईसाहब शादी को लेके जरा अलग मायने हैं इनके
आज फिर ये घर से निकलते समय अपनी माता से बहस करके चल पड़ी कि क्या मिलेगा शादी करके... सारे मर्द एक जैसे होते हैं....
रास्ते में सफर में उसे याद आने लगा कि कैसे उसके पिता उसे औऱ उसकी मां और छोटी बहन को छोड़ कर अपने अलग रास्ते पर चले गए थे। और किस तरह के दुख उन्होंने उसके पिता की वजह से भोगे हैं।
आज उसका दिमाग वैसे ही खराब था , लेट भी हो रही थी, और कुछ खाया पिया भी नही था गुस्से में ।
अब वो जब बस में चढ़ने लगी तो मोहतरमा एक महोदय से टकरा गई, और ये जो महोदय कोई और नहीं थे अपने अर्जुन भाईसाहब ही थे।
अब होना क्या था... मिष्ठी ने सारा गुस्सा जो है वो अर्जुन पर निकाल दिया।
अंदर आने के बाद मिली भी सीट साथ में।
अब अर्जुन अपना मोबाइल निकाल कर लोकेशन चेक कर रहा था पर नेटवर्क की दिक्कत की वजह से मोबाइल बार बार जो है खिड़की की तरफ ले जाने लगा, अब मिष्ठी उस पर चिल्लाने लगी ये सोचकर कि वो उसकी फोटो ले रहा है।
अब अर्जुन है तो सीधा सादा पर गलत बात नहीं सुन सकता। उसने भी अपना मोबाइल दिखा दिया।
बात साफ हो गयी। औऱ अब मिष्ठी को जो है जरा बुरा लगा। उसे एहसास हुआ कि उसने अर्जुन को दो बार बेइज्जत करके अच्छा नहीं किया। वो उससे माफी माँगना चाहती थी। पर न जाने क्यों रुक गयी।
बस रुकी । और मिष्ठी उतर गई। और अपने रास्ते चल पड़ी। फिर से अपने ख्यालों में मग्न।

अर्जुन का ध्यान अब अपनी शादी से हट चुका था। उसे बार बार मिष्ठी के कठोर शब्द सुनाई देने लगे। उसने मिष्ठी की खाली सीट की तरफ देखा। और चन्द सेकण्ड बाद बस रुकवाकर तेज़ी से उतरा और उस तरफ चल दिया वापिस, जिस तरफ मिष्ठी गयी थी।

कुछ देर ढूंढने पर उसे मिष्ठी दिखी और वो उसकी तरफ जाने लगा।
मिष्ठी अभी भी सोच ही रही थी कि उसने अर्जुन के साथ गलत किया।
तभी उसने अर्जुन को अपनी तरफ आते देखा। वो डर गयी। उसे अर्जुन अब एक केरेक्टरलेस आदमी लगने लगा जो उसका पीछा कर रहा था।
मिष्ठी ने घबराकर एक पत्थर उठाया उस पर हमला करने के लिये (अपने बचाव के लिए)
अर्जुन भी डर गया और रुक गया।
उसने कहा मेरी बात सुनो।
तुम....
मिष्ठी ने चिल्लाकर कहा .. मुझे मालूम था सब मर्द एक जैसे होते हैं। तुम मुझे अब परेशान करने आये हो। पहले तो शक था अब यकीन भी हो गया कि तुम एक चरित्रहीन आदमी हो। और तुम नहीं सब एक जैसे होते हैं।
दूर चले जाओ वरना मैं पुलिस को बुला लुंगी।
मिष्ठी का शोर सुन कर भीड़ भी इकठ्ठा हो गयी और अर्जुन की आलोचना करने लगी।
और मिष्ठी को सहारा देने लगी।
तभी अर्जुन ने उसका हाथ पकड़ा और कुछ पैसे और एक मोबाइल थमा दिया।

मिष्ठी अवाक खड़ी रही । भीड़ अब शांत हो गयी मिष्ठी के अचानक हुए व्यवहार में परिवर्तन देख कर।
 अर्जुन ने फिर हिचकिचाते हुए कहा मैं तो आपका मोबाइल और ये पैसे जो आप बस मैं भूल गयी थीं वो ही देने आया हूँ।
इस बार भीड़ की आलोचना का विषय मिष्ठी बन चुकी थी। लोगों ने तरह तरह के व्यंग्य कसना शुरू कर दिया। और ये सब मिष्ठी के लिए बहुत शर्मनाम था। इतना कि वो नज़रें नहीं उठा पा रही थी।
तब उसकी हालत को समझते हुए अर्जुन ने लोगो को समझाया और खुद की अव्यवहारिक मुलाकात पर इलज़ाम ले लिया ।
ये सब देख कर मिष्ठी की आंखे अर्जुन पर टिक गई। अब वो बस उसे ही देखे जा रही थी। मानो जैसे अब वो कुछ और देखना ही न चाहती हो।
उसके आंखों में अब शर्मिंदगी नही थी एक मोह था जो उसके लड़खड़ाते होठों को अपनी माफी कबूल करने के लिए मजबूर कर रहा था।
अर्जुन उसे वहां से ले गया । अब मिष्ठी ने अपने किये के लिए उससे माफी मांगी। अर्जुन बस मुस्कुरा दिया। दोनों ने एक दूसरे को अपना परिचय दिया । और दोनों अपने अपने रास्तों पर चल दिये। दोनों के ख्याल अब एक दूसरे पर सीमांत हो चुके थे।
अर्जुन जिस लड़की से मिलने आया था लेट होने के कारण नहीं मिल पाया। और सच कहें तो अब मिलना भी नहीं चाहता था। क्योंकि उसकी आँखों के आगे मिष्ठी का मासूम चेहरा बस गया था।

मिष्ठी भी अब अपनी सोच बदल चुकी थी। शाम को घर लौटी। वह अभी भी अर्जुन के खयालों में मग्न थी।
तब उसकी माँ मकान मालिक से लड़ रही थी। कि उन्हें पैसे देने के लिए थोड़ी मोहलत मिल जाये ।
शाम का खाना लगाते समय उसकी माँ ने कहा तू सही कहती है मिष्ठी,,, ये सारे मर्द एक जैसे होते है।
मिष्ठी ने मुस्कुराते हुए कहा.....
   नहीं माँ... सारे मर्द एक जैसे नहीं होते..!!
#Piya ❤❤

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