गुलाबी रंग
मुझे ठंडी जगह में रहना पसंद है"उसने चहकते हुए कहा...
ठीक है हम किसी ठंडी जगह ही घर बनाएंगे...
और हां घर मे हर चीज़ मेरी पसंद की होगी
पर्दे गुलाबी रंग के होंगे पहले ही बोल देती हूं..
यार तुम #लड़कियों को ये गुलाबी का क्या नशा है मुझे तो आजतक समझ नही आया..."उसने उसे #छेड़ते हुए कहा"
#सौरभ और मीरा हर प्रेमी जोड़े की तरह भविष्य के सुनहरे सपने साथ मे देखते..
सुनो #बच्चो के नाम मैं रखूंगा...
नही नही तुम मत रखना मेरी जान तुम्हारी पसंद बहुत बुरी है...
मैडम तुम भी मेरी ही पसंद हो...वो चिढ़ गई
तो उसने बाहों में उसे #कसकर उसके गालों पर अपना प्यार अंकित कर दिया...
पर कहते है ना इश्क़ छुपाये नही छुपता...
मीरा के घरवालों को उनकी मोहब्बत की भनक लग गई
और जो मोहल्ला वाला इश्क था न
दुनिया भर की कसमें और बदनामी का हवाला देकर उसे सौरभ से दूर रहने का #वचन लिया...
एक आखरी बार मिलना चाहती थी वो उससे..
तमाम #मिन्नतों के बाद उसे रजामंदी मिली
वो गई...आँखों मे #आंसू और दिल मे बहुत सी तड़प लेकर..उसे ये कहने की मुझे भूल जाओ
जो सपने तुम्हारे साथ देखे थे वो महज धोखा था
मार डालो उन #ख्वाबो के बच्चो को जिनके नाम हमने सोचे थे
जला डालो उस घर को जो हमारे #सपनो से हमने बनाया था..
एक #आखिरी कसम देकर की मुझे कभी ढूंढने की कोशिश नही करोगे
...
वो चाहता तो हाथ थाम कर रोक सकता था उसे...पर उसके प्यार ने पलट कर तक नही देखा....
आज २ साल बाद बैठा है वो अपनी बालकनी में..चाय की हर घूंट के साथ वो उसे याद आ रही है...
उसने वादा निभाया कभी भी उसके बारे में जानने की कोशिश नही की..
हां एक वादा और निभाया उसने उसे ठण्डी जगह में रखने का वो था उसका दिल
जो अब बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था...
और वो...
शायद वो भी किसी पर्दे की दुकान पर कह रही होगी..
"गुलाबी रंग मत दिखाइए...मुझे बिल्कुल पसंद नही....
ठीक है हम किसी ठंडी जगह ही घर बनाएंगे...
और हां घर मे हर चीज़ मेरी पसंद की होगी
पर्दे गुलाबी रंग के होंगे पहले ही बोल देती हूं..
यार तुम #लड़कियों को ये गुलाबी का क्या नशा है मुझे तो आजतक समझ नही आया..."उसने उसे #छेड़ते हुए कहा"
#सौरभ और मीरा हर प्रेमी जोड़े की तरह भविष्य के सुनहरे सपने साथ मे देखते..
सुनो #बच्चो के नाम मैं रखूंगा...
नही नही तुम मत रखना मेरी जान तुम्हारी पसंद बहुत बुरी है...
मैडम तुम भी मेरी ही पसंद हो...वो चिढ़ गई
तो उसने बाहों में उसे #कसकर उसके गालों पर अपना प्यार अंकित कर दिया...
पर कहते है ना इश्क़ छुपाये नही छुपता...
मीरा के घरवालों को उनकी मोहब्बत की भनक लग गई
और जो मोहल्ला वाला इश्क था न
दुनिया भर की कसमें और बदनामी का हवाला देकर उसे सौरभ से दूर रहने का #वचन लिया...
एक आखरी बार मिलना चाहती थी वो उससे..
तमाम #मिन्नतों के बाद उसे रजामंदी मिली
वो गई...आँखों मे #आंसू और दिल मे बहुत सी तड़प लेकर..उसे ये कहने की मुझे भूल जाओ
जो सपने तुम्हारे साथ देखे थे वो महज धोखा था
मार डालो उन #ख्वाबो के बच्चो को जिनके नाम हमने सोचे थे
जला डालो उस घर को जो हमारे #सपनो से हमने बनाया था..
एक #आखिरी कसम देकर की मुझे कभी ढूंढने की कोशिश नही करोगे
...
वो चाहता तो हाथ थाम कर रोक सकता था उसे...पर उसके प्यार ने पलट कर तक नही देखा....
आज २ साल बाद बैठा है वो अपनी बालकनी में..चाय की हर घूंट के साथ वो उसे याद आ रही है...
उसने वादा निभाया कभी भी उसके बारे में जानने की कोशिश नही की..
हां एक वादा और निभाया उसने उसे ठण्डी जगह में रखने का वो था उसका दिल
जो अब बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था...
और वो...
शायद वो भी किसी पर्दे की दुकान पर कह रही होगी..
"गुलाबी रंग मत दिखाइए...मुझे बिल्कुल पसंद नही....