नदी_और_किनारा

ना अधिकार की बात करो
ना दीवार की बात करो
दूर से करो मुझ से
पर प्यार की बात करो

हम एक दूसरे की वज़ह से हैं
कोई किसी का सर्माया नही है
सच तो ये है भगवान ने भी हमे
हमारा रिश्ता बताया नही है

मैं नदी हूँ 
तुम किनारे का नाम हो
मैं तुम्हारे कारण हूँ
तुम मेरा परिणाम हो

ना मैं किसी से शिकायत कर सकती हूँ
ना तुम कभी विद्रोह कर सकते हो
ना मैं प्यार में जान दे सकती हूँ
ना तुम इश्क़ में कभी मर सकते हो

अगर तुम ने मेरी लहरों पर हक़ जमाया
अगर तुम्हारा एक क़दम भी मेरे नज़दीक आया
रिश्ता बदल जाएगा
तुम किनारा नही रहोगे
मेरा सहारा घुल जाएगा

और अगर मैं तुम तक आने लगी
तुम्हारी फैली बाँहों में समाने लगी
तो तुम से दूर बह जाऊँगी
मैं अपनी सीमाओं में फिर नही आऊँगी

धरा जल में होगी
जल धरती पर बह जाएगा
मिलन के बाद दूर दूर तक
एक विनाश रह जाएगा

मिलन की आस छोड़ो 
हर एक प्यास छोड़ो
मुझे सपनो में रक्खो
मेरी तलाश छोड़ो


मुझे तुम बस देख सकते हो
मैं जानती हूं मुझे दिल में रखते हो
पर मेरा मिलन सागर के भाग्य में है
सागर में मुझे समाना है
उस मलन तक मेरे किनारे मेरे दोस्त
तुम्हे कदम कदम साथ आना है
जो तुम मेरे हो
ईश्वर को भी कभी वो नही माना है
तुम्हे कदम कदम मेरे साथ आना है जाना है

सागर को जो दूँगी मेरा शरीर है
जो नश्वर है
जो तुम्हे दे जाऊंगी मैं
मेरी धड़कनो का स्वर है

उस स्वर को ज़िंदा रखना
मैं रही नही वहाँ
पर ये किनारा घर है मेरा
इस घर को ज़िंदा रखना
इस घर को ज़िंदा रखना

ना अधिकार की बात करो 
ना दीवार की बात करो
दूर से करो मुझ से
पर प्यार की बात करो
Source- kavitakosh
http://kavitakosh.org/kk/नदी_और_किनारा_/_मासूम_शायर

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