प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी हमारे बीच नहीं रहे। 16.AUG.2018 गुरुवार की शाम पांच बजकर पांच मिनट पर एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली। अटल जी की मौत से पूरा देश सदमे में है। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल जी नेता और पत्रकार होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। उनकी लिखी कई कविताएं उन्हीं की तरह अजर-अमर रहेंगी। उनमें से कुछ..... कदम मिलाकर चलना होगा..... बाधाएँ आती है आएँ, घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों से हँसते–हँसते, आग लगा कर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। हास्य–रूदन में, तूफानों में, अमर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। उजीयारे में, अंधकार में कल कछार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत–शत आकर्षक, अरमानों को दलना होगा। ...